पेट रोग का आयुर्वेदिक इलाज
- बेल का मुरब्बा खाने से पित्त व् अतिसार में लाभ होता है ! पेट के सभी रोगों में बेल का मुरब्बा खाने से लाभ मिलता है !
- मसूर की दाल का सूप बनाकर पिनर से आँतो से सम्बन्धित रोगों में लाभ होता है !
- पपीता पेट के तीन प्रमुख रोगों आम, वात, और पित्त में राहत पहुंचाता है ! यह आँतो के लिए उत्तम होता है !
- संतरे में लहसुन, धनिया, अदरक मिलाकर, चटनी बनाकर खाने से पेट के रोगों में लाभ मिलता है !
- पेट के रोगियों को चाहिए की ज्वार की रोटी के साथ दही ले ! दही का सेवन भुने हुए जीरे व् सेंधे नमक के साथ करें !
- शहद और दालचीनी के पाउडर का मिश्रण लेने से पेट दर्द और पेट के उल्सर जड़ से ठीक हो जाती है ! दालचीनी और शहद के प्रयोग से उदर की गैस का भी समाधान हो जाता है !
- कोई समस्या न हो तो कभी – कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए ! इससे आँतो के उल्सर, कैन्सर का खतरा कम हो जाता है तथा पाचनक्रिया भी एकदम ठीक रहती है !
- अनार के दानों में नमक आयर काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द ठीक हो जाता है !
पपीते के फ़ायदे – Benefits of Papaya
- पपीते की जड 10 ग्राम और कुल्थी 50 ग्राम का मिश्रण लेकर काढा बनाकर लेने से बवासीर में फ़ायदा होता है !
- पपीते के रस में दूध और मिश्री मिलाकर रात को पीने से अनिद्रा रोग में फ़ायदा होता है !
- पपीता पेट के तीनों प्रमुख रोगों आम, वात और पित्त में राहत पहुचाता है यह आंतों के लिए उतम होता है !
- पपीते में बड़ी मात्रा में विटामिन A होता है इसलिए यह आँखों और त्वचा के लिये बहुत ही अच्छा माना जाता है !
- विरेचेक होने की वजेह से पपीते का सेवन गर्वती महिलाओ के लिए वजित माना गया है !
- रात को गाय का घी हल्का गर्म करके नथुनों में एक – एक बूँद डाल के सोए ! इससे खराटे बिलकुल बंद हो जाएगे, नींद अच्छी आएगी, बच्चो की याददाश्त बढेगी !
- गाय का घी वात और पित्त दोषों को शांत करता है !
- बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़ जाता है जो घी के सेवन से निकल जाता है !
- ह्रदय की नलियों में जब ब्लॉकेज हो तो गाय का घी एक ल्यूब्रिकेंट का काम करता है !
- गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है तो घी उसे शांत करता है !
- वनस्पति घी कभी न खाएं – ये पित्त बढ़ाता है और शरीर में जम जाता है !
- घी को कभी भी मलाई गर्म करके न बनाए ! दही जमाकर मथने से घी में प्राण शक्ति आकर्षित होती है ! फिर इसको गर्म करने से घी मिलता है !
नोट :- उपरोक्त सभी लाभ देशी नसल की गाय में घी में ही संभव है !