Bawaseer ka ilaj hindi mai | बवासीर का इलाज हिंदी में
बवासीर दो प्रकार की होती है - अंदर की और बाहर की।
अंदर की बवासीर मे मस्से अंदर को होते है। गोल - चपटे उभरे हुए मस्से चने - मसूर के दाने बराबर होते है। कब्ज की वजह से जब अंदर का मस्सा शौच करते समय जोर लगाने पर बाहर आ जाता है, तो मरीज दर्द से तड़प उठता है और मस्से छिल जाए तो जख्म हो जाता है। बाहर की बवासीर मे मस्सा गुदा वाली जगह पर होता है, इसमे दर्द नही होता। कभी-कभी खारिश या खुजली होती है। कब्ज होने पर इससे इतना खून आने लगता है कि मरीज खून देख के घबरा जाता है और चेहरा पीला पड़ जाता है।
लक्षण : बवासीर से मरीज का हाजमा खराब हो जाता है। भूख नही लगती, कब्ज रहने लगती है। पेट मे कभी कभी गैस बनने लगती है । मेदा, दिल, जिगर कमजोर हो जाते है। आमतौर से सारीरिक कमजोरी हो जाती है। मरीज के मुह पर हल्की सूजन भी आ जाती है।
उपाय: 50 ग्राम रीठे लेकर तवे पर रखकर कटोरी से ढ़क दे और तवे के नीचे आधा घंटा आग जलाए। रीठे भस्म हो जाएंगे। ठंडा होने पर कटोरी हटाकर बारीक करके रीठे की भस्म 20 ग्राम, कत्था सफेद 20 ग्राम, कुश्ता फौलाद 3 ग्राम, सबको बारीक करके मिला ले। खुराक 1 ग्राम सुबह को, 1 ग्राम शाम को, 20 ग्राम मक्खन मे रखकर खाए ऊपर से 250 ग्राम गर्म दूध पिये। 10-15 दिन करे, यह बहुत बढ़िया दवा है। खूनी, बादी बवासीर को दूर करेगी।
परहेज : गुड़, गोश्त , शराब, आम, अंगूर न खाए, कब्ज न होने दे और नीचे लिखा मरहम मस्सों पर लगाएं।
मरहम बवासीर : वेसलीन सफेद 50 ग्राम, कपूर 6 ग्राम सलफादायजीन की 3 गोली, बोरिक एसिड 6 ग्राम । सबको बारीक करके वैसलीन मे मिलाकर रात को सोते समय सुबह शौच जाने से पहले दिन मे एक बार रोजाना उंगली के साथ अंदर बाहर मस्सों पर लगाये।
खूनी बवासीर : गेंदे के हरे पत्ते 10 ग्राम, काली मिर्च 5 दाने, कुंजा मिश्री 10 ग्राम, 60 ग्राम पानी मे रगड़कर छानकर 4 दिन तक एक एक बार पिए। गर्म चीज न खाए और कब्ज न होने दे।
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